Wednesday, October 9, 2024
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कॉफी मीठी पीएं या फीकी उम्र बढाने में मददगार है

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कॉफी आयु को बढाने में मददगार साबित हो सकती है

नई दिल्ली।टीम डिजिटल : कॉफी (coffee) मीठी पीएं या फीकी उम्र बढाने में मददगार है- कॉफी की गुणवत्ता को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। कुछ लोगों का यह मानना है कि कॉफी पीने से एसिडिटी जैसी समस्याएं हो सकती है। तो कुछ इसे बेहतर एंटीऑक्सीडेंट मानते हैं। कयासों के बीच चीन के ग्वांझाऊ शहर स्थित सदर्न मेडिकल यूनिवर्सिटी (Southern Medical University) के रिसर्चर्स ने अपनी स्टडी में तस्वीर काफी हदतक स्पष्ट कर दिया है “

इस स्टडी में पता चला है कि अगर डेली लिमिट (रोजाना डेढ़ से साढ़े 3 कप) में मीठी या फीकी कॉफी पीआ जाए तो यह आयु को बढाने में मददगार साबित हो सकती है। इसके पहले की गई एक और स्टडी से यह तथ्य भी सामने आया था कि कॉफी (coffee) पीना सेहत के लिए फायदेमंद है। सात सालों की गई फॉलोअप स्टडी में कॉफी नहीं पीने वालों की तुलना में कॉफी पीने वालों में मौत का जोखिम कम पाया गया है। स्टडी की जानकारी को बाकायदा एनल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन (Annals of Internal Medicine) जर्नल में प्रकाशित किया गया है।

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इस तरह से की गई स्टडी:

विशेषज्ञों ने अपनी स्टडी में ब्रिटेन के बायोबैंक डाटा का इस्तेमाल किया। उन्होंने 1 लाख 71 हजार से ज्यादा प्रतिभागियों को शामिल कर यह पता लगाने का प्रयास किया कि कॉफी (coffee) पीने का उनके रोजाना के जीवन पर कितना प्रभाव पडता है। इनके बारे में ये जानकारी नहीं थी कि वे हार्ट डिजीज, कैंसर आदि रोगों से तो पीडित नहीं हैं। विशेषज्ञों ने लगातार सात सालों तक इनकी सेहत की निगरानी की और पाया कि काफी किसी भी रूप में पीआ जाए सेहत के लिए फायदेमंद ही साबित होता है।

इस स्टडी में पाया गया कि रोज डेढ़ से साढ़े तीन कप मीठी कॉफी पीने वाले लोगों में मौत जा जोखिम उनके मुकाबले 29 से 31 प्रतिशत तक कम हो जाता है, जो कॉफी नहीं पीते हैं। ठीक इसी तरह बिना चीनी के कॉफी इस्तेमाल करने वाले लोगों में कॉफी नहीं पीने वाले लोगों की तुलना में मौत का जोखिम 16 से 21 प्रितशत तक कम पाया गया।

यहां यह भी स्पष्ट करना जरूरी है कि एक कप कॉफी में एक चम्मच चीनी की मात्रा को सुरक्षित माना गया है। आर्टिफिशियल स्वीटनर्स का इस्तेमाल करने वाले लोगों पर यह आंकडा सटीक नहीं माना जाएगा। विशेषज्ञों ने कॉफी में ऐसे तत्वों को पाया जो सेहत को नुकसान नहीं पहुंचाते। साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि इसके लाभ का स्तर सोशल-इकोनोमिक, डाइट, लाइफस्टाइल फैक्टर और जियोग्रॉफिकल क्लाइमेट पर भी काफी हदतक निर्भर करता है।

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स्टडी करने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि रिसर्च में शामिल प्रतिभागियों के डाटा देश के उन हिस्सों से जुटाई गई जहां पिछले 10 साल पहले चाय सहित अन्य पे पदार्थ चलन में थे। विशेषज्ञों ने यह भी कहा है कि होटल और रेस्तरां में उपलब्ध कॉफी की गुणवत्ता घर में उपयोग की जाने वाली कॉफी के मुकाबले काफी भिन्न हो सकती है। उनका कहना है कि स्टडी में प्राप्त डाटा और नतीजों के आधार पर डॉक्टरों को अपने मरीजों को उचित सलाह देने में भी मदद मिलेगी। साथ ही यह भी कहा है कि कॉफी के इस्तेमाल के साथ कैलोरी की मात्रा को लेकर भी सतर्कता बरतने की जरूरत है।


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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: caasindia.in में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को caasindia.in के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। caasindia.in लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी/विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

 

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