2025 तक बढ सकती है स्तन कैंसर मरीजों की तादाद
Breast Cancer Risk in Delhi : देश की राजधानी दिल्ली में महिलाओं की सेहत के लिए गंभीर चुनौती (Serious Health challenge to women’s in Delhi) पैदा हो गई है। इस चुनौती का नाम स्तन कैंसर (Breast Cancer) है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) की स्टडी के जो नतीजे सामने आए हैं, वे चौंकाने वाले साबित हो रहे हैं।
आईसीएमआर की स्टडी (ICMR study) के मुताबिक, दिल्ली, तमिलनाडु, तेलंगाना और कर्नाटक में पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों की तुलना में स्तन कैंसर का रिस्क अधिक (The risk of breast cancer is higher than in eastern and northeastern states.) है और यह समस्या इन राज्यों के लिए बडी चुनौती बन सकती है। स्टडी में यह भी निष्कर्ष निकाला गया है कि वर्ष 2025 तक देश में स्तन कैंसर से पीडित महिलाओं की तादाद चिंताजनक (The number of women suffering from breast cancer in the country by the year 2025 is worrying) स्तर पर पहुंच सकती है।
आईसीएमआर (ICMR) ने की Breast Cancer समस्या की राज्यवार जांच
इस महीने की शुरुआत में प्रकाशितह होने वाले इस अध्ययन में यह आशंका व्यक्त की गई है कि वर्ष 2025 में भारत में स्तन कैंसर की समस्या बहुत ज्यादा तेजी से बढ सकती है। इस अध्ययन में देशभर के 28 कैंसर रजिस्ट्रियों के डाटा का विश्लेषण किया गया और कैंसर समस्या की राज्यवार जांच की गई। इस स्टडी में वर्ष 2012 से 2016 तक रजिस्टर्ड किए गए कैंसर के मामलों पर फोकस किया गया।
क्यों चिंता पैदा कर रहा है आईसीएमआर का अध्ययन?
विशेषज्ञों का अनुमान है कि वर्ष 2016 में स्तन कैंसर की समस्या का स्तर प्रति 1,00,000 महिलाओं पर 515.4 डीएएलवाई था। वर्ष 2025 में डीएएलवाई 56 लाख तक पहुंचने का अनुमान है। डीएएलवाई बीमारी से होने वाली क्षति (DALYs lost from disease) को मापने का पैमाना है।
इस स्टडी में ग्रामीण और शहरी महिलाओं की तुलना की गई तो पाया गया कि शहरी महिलाओं की तुलना में ग्रामीण महिलाओं में स्तर कैंसर का जोखिम कम (Rural women have lower risk of cancer compared to urban women) है। स्तन कैंसर के लिए शहरी क्षेत्रों में जीवनशैली, शादी और बच्चे के जन्म की देरी और कम स्तनपान कराने को बडी वजह बताया गया है।
कैंसर की अंतिम स्टेज से पीड़ित हैं अधिकांश महिलाएं
विशेषज्ञों के मुताबिक, स्तन कैंसर के बढते हुए मामले को देखते हुए इस विषय पर जागरुकता फैलाने की जरूरत है। देश में स्तन कैंसर से पीडित अधिकतर महिलाएं कैंसर की अंतिम मेटास्टैटिक स्टेज में हैं। इससे साफ स्पष्ट होता है कि इस मामले में जागरुकता की कमी बडा संंकट पैदा कर सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि कैंसर का प्राथमिक स्तर पर ही पता लगाने के लिए सामाजिक स्तर पर जागरुकता और चेतना का होना बेहद जरूरी है।