Saturday, July 27, 2024
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बडा सवाल : ऑटोइम्यून डिसऑर्डर से पीडित मरीज क्या नहीं कर सकते रक्तदान

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ऑटोइम्यून डिसऑर्डर से पीडित मरीज रक्तदान कर सकते हैं ? रक्तदान करना न केवल सेहत के बेहतर है बल्कि यह कई जीवन को बचाने का आधार भी बनता है। नियमित तौर पर रक्तदान करने से स्वास्थ्य को कई फायदे होते हैं। साथ ही इस दौरान होने वाली जांच भी आपको रोकमुक्त रखने में मदद करती है।


नई दिल्ली : बडा सवाल यह है कि क्या ऑटोइम्यून डिसऑर्डर से पीडित मरीज रक्तदान कर सकते हैं….क्या रक्तदान करने से ऐसे मरीज को नुकसान होगा या जिन्हें ऑटोइम्यून डिसऑर्डर से पीडित मरीज का रक्त दिया जाएगा, क्या उनके शरीर में भी ऑटोइम्यून बीमारियां होने का जोखिम होगा…आज हम विस्तार से इस विषय में सभी जरूरी जानकारियां आपसे साझा कर रहे हैं। मूल विषय पर जानकारी से पहले रक्तदान के संबंध में कुछ आवश्यक जानकारियों का होना जरूरी है। आईए सबसे पहले हम आपको इसके बारे में बताते हैं।

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इन पैमानों पर खडा उतरना चाहिए रक्तदाता :

कोई भी सामान्य वयस्क महिला या पुरुष रक्तदान कर सकते हैं।
पुरुष हर तीन महिले के अंतराल पर रक्तदान कर सकते हैं।
महिला प्रत्येक चार महीनों के अंतराल पर रक्तदान कर सकती हैं।
रक्तदान करने वाले महिला या पुरुष की न्यूनतम आयु 16 वर्ष होनी चाहिए।
रक्तदान करने के समय महिला या पुरुष का वजन 45 किलो से कम नहीं होनी चाहिए।
रक्तदान करने वाले के शरीर में 110 पाउंड खून होना चाहिए।

रक्तदान के बाद इन स्टेप्स से गुजरता है आपका रक्त :

स्टेप 1

रक्तदान करने के बाद सबसे पहले ब्लड की प्रोसेसिंग की जाती है। इससे पहले ब्लड को टेस्ट ट्यूब में भरकर तय तापमान में रखा जाता है। डोनेट किए गए ब्लड को सेंटर भेजा जाता है। अस्पताल के हवाले करने से पहले ब्लड को लंबी प्रक्रिया के तहत टेस्ट करते हैं।

स्टेप 2

प्रोसेसिंग सेंटर डोनेशन की तमाम जानकारियों को कम्प्यूटर्स में स्कैन करके सेव किया जाता है। ब्लड क्लिनिंग प्रक्रिया की शुरुआत में ब्लड को साथ में घुमाया (centrifuges) जाता है, जिसके बाद उसकी तीन लेयर तैयार होती है। इन्हे रेड सेल्स, प्लेटलेट्स और प्लाज़मा में बांट दिया जाता है। इन तीनों हिस्सों में बंटे ब्लड को अलग यूनिटों में रखा जाता है।

स्टेप 3

ब्लड यूनिट तैयार करने के बाद इनकी जांच की प्रक्रिया शुरू होती है। जांच के तहत ब्लड टाइप/ग्रुप से लेकर प्रमुख रूप से कुछ जांच जैसे : हिपैटाइटिस बी सतही एंटीजेन, हेपेटाइटिस सी के लिए एंटीबॉडी, एचआईवी के एंटीबॉडी, आमतौर पर 1 और 2 उपप्रकार के उपदंश के लिए सेरोलॉजिक परीक्षण किए जाते हैं। इसकी डिटेल्ड रिपोर्ट की जानकारी ब्लड सेंटर को दे दी जाती है।

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स्टेप 4

टेस्ट रिजल्ट सही पाए जाने के बाद, ब्लड चढ़ाने की आवश्यकता के मुताबिक इनपर लेबल लगाकर इन्हें स्टोर किया जाता है। रेड सेल्स को रेफ्रिजिरेटर्स में 6ºC पर 42 दिनों के लिए रखा जा सकता है। प्लेटलेट्स एगिटेटर्स में रूम टेंपरेचर पर पांच दिनों के लिए रखा जा सकता है। प्लाज़ाम फ्रीजर्स में एक साल के लिए रखा जा सकता है।

स्टेप 5

हॉस्पिटल जितनी मात्रा में ब्लड की डिमांड करते हैं, उसके मुताबिक उन्हें ब्लड की आपूर्ति की जाती है। यह आपूर्ति हफ्ते में सातो दिन और चौबिस घंटे आधार पर की जाती है। इसके अलावा अस्पताल भी कुछ यूनिट ब्लड अपने पास उपलब्ध रखते हैं।

ऑटो इम्यून डिसऑडर से पीडित मरीज क्या कर सकते हैं रक्तदान :

सफदजरंग अस्पताल के कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग के निदेशक और एचओडी प्रो. जुगल किशोर के मुताबिक रक्तदान के दौरान मिलने वाले ब्लड की जांच के दौरान कुछ प्रमुख संक्रामक बीमारियां, जो खून के जरिए फैल सकते हैं, उनकी जांच प्रमुखता से की जाती है। ब्लड चढाने योग्य है या नहीं यह तय करने का प्रमुख पैमाना यही जांच है। जहां तक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर वाले मरीजों के रक्तदान का सवाल है तो अभी तक किसी अध्ययन में यह बात सामने नहीं आई है कि इनके दिए गए रक्त से रक्त चढाए गए मरीज को उनकी तरह ऑटोइम्यून रोग या कोई अन्य रोग हो गया हो।

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किसी भी अध्ययन में इस बात के प्रमाण नहीं मिले हैं कि जिस तरह ऑटोइम्यून डिसऑर्डर के मरीजों में उनका ही शरीर ब्लड में उनके ही खिलाफ एंटीबॉडी तैयार करता है और वह एंटीबॉडी दूसरों के शरीर में जाकर उनमें भी उसी तरह रियेक्ट कर जाए। कुलमिलाकर देखा जाए तो ऑटोइम्यून डिसऑर्डर से पीडित मरीज रक्तदान कर सकते हैं। बशर्त रक्तदान के लिए वह आवश्यक योग्यता रखते हों। अक्सर यह पाया जाता है कि ऑटोइम्यून डिसऑर्डर से पीडित मरीजों के शरीर में हिमोग्लोबिन सामान्य स्तर से कम होती है। प्रो. जुगल किशोर के मुताबिक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर से पीडित रक्तदाताओं के लिए बस यहीं पेंच फंसता है। अगर उनके शरीर में हिमोग्लोबिन का स्तर सामान्य है, तो वह रक्तदान कर सकते हैं।


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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

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