Saturday, July 27, 2024
HomeHealth Tipsप्राकृतिक चिकित्सा की मदद से मधुमेह को करें नियंत्रित  

प्राकृतिक चिकित्सा की मदद से मधुमेह को करें नियंत्रित  

Join Whatsapp Channel Join Now
Join Telegram Group Join Now
Follow Google News Join Now

पैंक्रियास ग्लैंड के दुर्बल होने से होती है मधुमेह की समस्या

नई दिल्ली।रत्नेश सिंह : 
बहुत कम लोगों को यह मालूम है कि मधुमेह (Diabetes) एक ऑटो इम्यून (Autoimmune Disease) समस्या है। इसकी वजह से शरीर में अन्य कई बीमारियों का जोखिम बढ जाता है। वहीं खानपान में भी परहेज करना पडता है। मधुमेह का सबसे ज्यादा प्रभाव किडनी पर पडता है। वहीं इसके साथ उच्च रक्त चाप की समस्या हृदय रोग के जोखिम को बढा सकता है।

प्राकृतिक चिकित्सा की मदद से मधुमेह को करें नियंत्रित  
डॉ. रजनी
प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ
ऐसे मेें यह जरूरी है कि मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए सभी जरूरी उपाए किए जाने चाहिए। हम यहां आपको बता रहे हैं कि मधुमेह (Diabetes) को प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति की मदद (NaturopathyDiabetes treatment) से कैसे नियंत्रित रख सकते हैं।

क्यों होती मधुमेह की समस्या 

प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. रजनी के मुताबिक,  हमारा शरीर शक़्कर को पचाने के लिए इन्सुलिन नाम का रस उत्पन्न करता है। यह प्रक्रिया क्लोम यन्त्र यानि पैंक्रियास ग्लैंड की मदद से होती है। प्रत्येक स्वस्थ व्यक्ति 24 घंटों में 200 ग्राम शक़्कर हजम करने की क्षमता रखता है। जब लगातार अधिक शक़्कर सेवन की जाती है तो पैंक्रियास ग्लैंड दुर्बल पड़ने लगता है और शक़्कर को हजम करने वाला इन्सुलिन रस उत्पन्न होना बंद हो जाता है। ऐसी स्थिति मे आहार द्वारा शरीर में प्रवेश करने वाली शक़्कर मूत्र द्वारा निकलती रहती है और रक्त में मिश्रित होने लगती है।
[irp posts=”8168″ ]
इस अवस्था को हिंदी में मधुमेह और अंग्रेजी में डायबिटीज (Diabetes) कहा जाता है। मधुमेह होने पर आहार द्वारा ली गई शक़्कर मूत्र द्वारा निकल जाने से शरीर में गर्मी एवं शक्ति की कमी अनुभव होने लगती है। एलोपैथ में रोगी को इन्सुलिन का इंजेक्शन या औषधि दी जाती है और यह रोगी के जीवन काल तक चलता रहता है। यह रोग मोटे लोगों को अधिक होता है। इसलिए वजन को नियंत्रित रखना भी बेहद जरूरी है। 

क्लोन ग्रंथि की दुर्बलता मिटाने में सहायक है प्रकृतिक चिकित्सा 

प्राकृतिक चिकित्सा की मदद से मधुमेह को करें नियंत्रित  
प्राकृतिक चिकित्सा की मदद से मधुमेह को करें नियंत्रित
विशेषज्ञों के मुताबिक, प्राकृतिक चिकित्सा क्लोम ग्रंथि की शिथिलता मिटाकर उसे जाग्रत और सशक्त बनाकर अपने अंदर इन्सुलिन रस उत्पन्न करने योग्य बनाती है। जिससे मरीज को स्थाई आराम मिल सके।

मधुमेह के लक्षण

प्रति दिन चार से आठ लीटर मूत्र त्याग करना (बहु मूत्र )
पेशाब का रंग पीला 
पेशाब गाढ़ा 
मूत्र में बदबू आना 
शारीरिक दुर्बलता 
प्यास अधिक लगना 
भूख अधिक लगना या तृप्त नहीं होना 
पेट में जलन 
शरीर का वजन और आँखों की दृष्टि कम होना 
कोई जख्म या घाव भरने में ज्यादा समय लगना 
[irp posts=”8200″ ]

मधुमेह के कारण

चीनी, मिठाइयां, घी, तेल, मैदा का जरुरत से ज्यादा सेवन करना 
बिना भूख खाने की आदत 
शरबत या चाय का बार बार सेवन करना 
व्यायाम या शारीरिक श्रम ना करना 
शरीर में ताज़ी हवा और धुप ना लगने देना 
मानसिक तनाव और लगातार चिन्ता करना
परिवार में माता पिता को यदि मधुमेह हो तो आनुवंशिक भी हो सकता है 

प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा मधुमेह का इलाज (NaturopathyDiabetes treatment )

प्राकृतिक चिकित्सा की मदद से मधुमेह को करें नियंत्रित  
प्राकृतिक चिकित्सा की मदद से मधुमेह को करें नियंत्रित
रोग की जानकारी होने पर रोगी को तत्काल चिकित्सा आरंभ कर देनी चाहिए। रोग पुराना होता जायेगा तो इसका उपचार और अधिक जटिल हो सकता है। रोज़ाना सुबह तैरने ,दौड़ने ,या तेज रफ़्तार से टहलने या व्यायाम करना चाहिए। योग आसन करने का नियम बनाएं। पचिमोत्तासन ,धनुर ,सर्वांग ,मतस्य ,शलभ और भुजंग आसन इस रोग में विशेषतौर से लाभकारी माना गया है। प्राणायाम में कपालभाति से मधुमेह में विशेष लाभ होता है। दिन में एक बार सुबह टब में कटि स्नान ले सकते हैं। सप्ताह में दो बार स्टीम बाथ लें। 
[irp posts=”8229″ ]

डाइट 

डाइट की बात करें तो मधुमेह के रोगी को काफी सावधानी बरतनी पड़ती है। इसमें आप खट्टे फलों और सब्जियों का सेवन कर सकते हैं। ये रक्त को शुद्ध रखने में मदद करता है। इस रोग में आलू और अरबी को छोड़कर हर प्रकार की सब्जी और फल खाना लाभकारी है। जामुन मधुमेह की मुख्य औषधि है। जामुन के मौसम में सुबह और शाम आवश्यकता अनुसार जामुन का अवश्य सेवन करना चाहिए। जामुन का मौसम ना हो तो सलाद ,करेला ,आंवला औषधि के रूप में सेवन करें।

सावधानी 

रोग पुराना हो चुका हो या लक्षण बिगड रहे हों तो तत्काल चिकत्सक से संपर्क जरूर करें। परामर्श अनुसार ही दवाओं का सेवन करें। जिन रोगिओं को रोजाना इन्सुलिन इंजेक्शन लगाने की आदत नहीं है, वे ऊपर बताये गए नियमो को अमल में लाकर रोग मुक्त होने की दिशा में कदम बढा सकते हैं। 
Read : Latest Health News|Breaking News |Autoimmune Disease News |Latest Research | on https://caasindia.in | caas india is a Multilanguage Website | You Can Select Your Language from Social Bar Menu on the Top of the Website. Photo : freepik

नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: caasindia.in में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को caasindia.in के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। caasindia.in लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी/विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

 

caasindia.in सामुदायिक स्वास्थ्य को समर्पित हेल्थ न्यूज की वेबसाइट

Read : Latest Health News|Breaking News|Autoimmune Disease News|Latest Research | on https://www.caasindia.in|caas india is a multilingual website. You can read news in your preferred language. Change of language is available at Main Menu Bar (At top of website).
Join Whatsapp Channel Join Now
Join Telegram Group Join Now
Follow Google News Join Now
Caas India - Ankylosing Spondylitis News in Hindi
Caas India - Ankylosing Spondylitis News in Hindihttps://caasindia.in
Welcome to caasindia.in, your go-to destination for the latest ankylosing spondylitis news in hindi, other health news, articles, health tips, lifestyle tips and lateset research in the health sector.
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Article