राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट में विकसित हो रहा है सर्जिकल रोबोट
नई दिल्ली। टीम डिजिटल :
दिल्ली के राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर (RGCI) में एक ऐसे सर्जिकल रोबोट (surgical robot) को विकसित करने की प्रक्रिया चल रही है, जिसके सक्रिय होने के बाद सर्जरी का खर्च एक तिहाई तक कम हो सकता है। यह रोबोट देश का पहला सर्जिकल रोबोट (surgical robot) होगा।
सर्जरी हो जाएगी किफायती :
![विकसित हो रहा है सर्जिकल रोबोट, सर्जरी के खर्चे में आएगी कमी 1 विकसित हो रहा है सर्जिकल रोबोट, सर्जरी के खर्चे में आएगी कमी](https://caasindia.in/wp-content/uploads/2022/11/685136828332-scaled.jpg)
संस्थान के चिकित्सा निदेशक डॉ. सुधीर रावल की निगरानी में इस सर्जिकल रोबोट (surgical Robot) के प्रभाव का आकलन किया जा रहा है। इस रोबोट का प्राथमिक ट्रायल भी पूरा किया जा चुका है। चिकित्सा निदेशक के मुताबिक देश में नवीन तकनीक और इनोवेशन विकसति करने के लिहाज से आरजीसीआई सक्रिय रूप से अपनी भूमिका निभा रहा है। यह प्रयास देश में पहला स्वदेशी रोबोट विकसित करने की दिशा में की जा रही है। इससे सर्जरी की प्रक्रिया किफायती होगी और यह ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच सकेगा।
[irp posts=”8492″ ]
मरीजों को रिकवरी में होगी आसानी :
![विकसित हो रहा है सर्जिकल रोबोट, सर्जरी के खर्चे में आएगी कमी 2 विकसित हो रहा है सर्जिकल रोबोट, सर्जरी के खर्चे में आएगी कमी](https://caasindia.in/wp-content/uploads/2022/11/17714728121-scaled.jpg)
डॉ. रावल के मुताबिक रोबोटिक सर्जरी (robotic surgery) ने जेनिटो यूरीनरी ट्रैक्ट (यूरोलाजी), गायनेकोलाजिकल कैंसर, जीआई कैंसर, सिर और गला तथा फेफड़े के कैंसर के मामले में न्यूनतम चीरफाड़ की तकनीक को संभव बनाया है। इस तकनीक से सर्जरी बेहद सटीक तरीके से करना संभव होता है। दरअसल, इस तकनीक से सर्जरी के दौरान अंगों को सटीक तरीके से देखना संभव हो पाता है। इससे बेहद सूक्ष्म अंगों और शरीर के हिस्सों को देखना संभव होता है। इस सर्जरी प्रक्रिया के तहत चीरे बेहद छोटे लगाए जाते हैं, जिससे खून कम बहता है और मरीज की रिकवरी भी जल्दी हो जाती है।
Read : Latest Health News|Breaking News |Autoimmune Disease News |Latest Research | on https://caasindia.in | caas india is a Multilanguage Website | You Can Select Your Language from Menu on the Top of the Website. (Photo : freepik) |