Saturday, July 27, 2024
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मिलावटी साबूदाने से रहे सावधान! फूड प्वाइजनिंग के हो सकते हैं शिकार

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  • बाजार में मिल रहा है मिलावटी साबूदाना

नई दिल्ली|टीम डिजिटल : नवरात्री का त्योहार शुरू हो चुका है। इस दौरान लोग व्रत रखते हैं और इस दौरान रोजाना खाने वाले भोजन से दूरी बना लेते हैं। ऐसे में पूरे व्रत के दौरान साबूदाना (sabudana) का उपयोग प्रमुखता से किया जाता है। ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि आप जिस साबूदाना का उपयोग कर रहे है, वास्तव में वह असली है या मिलावटी? ऐसा इसलिए क्यों​कि इन दिनों बाजार में मिलावटी साबूदाना भी मिल रहा है। जिसको खाने से आपका स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित हो सकता है।    

केमिकल से तैयार होते हैं मिलावटी साबूदाना :

मिलावटी साबूदाने से रहे सावधान! फूड प्वाइजनिंग के हो सकते हैं शिकार
मिलावटी साबूदाने से रहे सावधान! फूड प्वाइजनिंग के हो सकते हैं शिकार
 मिलावटी साबूदाना कैमिकल से तैयार किया जाता है। मिलावटी साबूदाने में सोडियम हाइपोक्लोराइट, कैल्शियम हाइपोक्लोराइट, ब्लीचिंग एजेंट, फॉस्फोरिक एसिड और सल्फ्यूरिक एसिड जैसे कई रसायनों का इस्तेमाल होता है। आम आदमी आसानी से इन कैमिकल्स से बने साबूदाने की पहचान नहीं कर पाता है। असली और मिलावटी साबूदाने की पहचान करने का तरीका (How to check adulteration in sabudana) जानने के लिए हमने प्राकृतिक चिकित्सक (Naturopathy Expert) डॉ. रजनी से बातचीत की है। 

मिलावटी साबूदाना -Adulteration in sabudana

डॉ. रजनी के मुताबिक मिलावटी साबूदाने की पहचान यह होती है कि यह दिखने में बेहद चमकदार और पॉलिश किए हुए सफेद मोतियों की तरह होता है। इसके ठीक उलट असली साबूदाना सामान्य सफेदी के साथ दिखता है। साबूदाना एक शाकाहारी प्रसंस्कृत भोजन है, इसलिए इसका उपयोग व्रतों के दौरान किया जाता है। साबूदाना टैपिओका  (tapioca tuber) से निकाले गए स्टार्च से तैयार किया जाता है। साबूदाना में कार्बोहाइड्रेड की मात्रा अधिक और फैट की मात्रा कम पाई जाती है। यह बीमार लोगों के लिए भी आसानी से पचने वाला सुरक्षित आहार है। इससे शरीर में शीघ्र ऊर्जा पैदा होती है। मिलावटी साबूदाना खाने से शरीर को आंशिक तो कई बार गंभीर रूप से भी नुकसान हो सकता है। 

मिलावटी साबूदाना खाने के नुकसान -Side effects of adulterated sabudana

मिलावटी साबूदाने में कई तरह के ब्लीचिंग एजेंट्स और कैमिल्स (फॉस्फोरिक एसिड और सल्फ्यूरिक एसिड)  के अलावा इसे सफेद और चमकदार मोती की तरह बनाने के लिए कुछ आर्टिफिशियल व्हाइटनिंग एजेंट्स का भी इस्तेमाल करते हैं। इसे खाने से विषाक्तता (फूड प्वाइजनिंग) हो सकती है। वहीं, शरीर के कई अंग खराब भी हो सकते हैं। ज्यादा स्थिति बिगडने पर लकवा भी मार सकता है। लंबे समय तक मिलावटी साबूदाना खाते रहने से कैंसर और अन्य किडनी और लिवर से जुड़ी बीमारियां भी हो सकती है। 

ऐसे करें असली-नकली साबूदाने की पहचान-How to check adulteration in sabudana in hindi

मिलावटी साबूदाने से रहे सावधान! फूड प्वाइजनिंग के हो सकते हैं शिकार
मिलावटी साबूदाने से रहे सावधान! फूड प्वाइजनिंग के हो सकते हैं शिकार

1. असली साबूदाना की पहचान के लिए करें चबाने वाली जांच (chew test for sabudana )

मिलावटी साबूदाने और असली साबूदाने में पहचान करना कुछ खास तरीकों से संभव है। इसकी जांच चबाकर भी की जा सकती है। इस जांच को करने के लिए थोड़ा साबूदाना लें और इसे मुंह में रख कर कुछ देर तक चबाएं। अगर किरकिरा महसूस हो तो, यह मिलावटी साबूदाना होने का प्रमाण है। नेचुरल साबूदाना कुछ देर चबाने के बाद स्टार्च छोडता है और वो दांत के साथ चिपकने लगता है। 

2. जलाकर करें साबूदाने की जांच (Burn test for sabudana)

साबूदाने को जलाकर देखना लोकप्रिय जांच विधि है। इसकी मदद से हम सटीक तरीके से असली और मिलावटी का भेद जान सकते हैं। इस जांच के लिए थोड़ा साबुदाना लें और उसे आग में डाल दें।
अगर यह फूलता है तो यह शुद्ध है और अगल नहीं तो इसमें मिलावट है। इसे कुछ देर तक जलाएं। जलने के बाद मिलावटी साबूदाना राख छोड़ेगा और असली राख नहीं छोड़ेगा। जलने पर असली साबूदाने से खुशबू आती है और मिलावटी से धुंआ निकलता हुआ ​दिखाई देगा। डॉ. रजनी के मुताबिक इन दो तरीकों से सफलतापूर्वक असली और मिलावटी साबूदाने में अंतर किया जा सकता है। मिलावटी साबूदाने से बचने के लिए यह ध्यान रखें कि चमकीले दानों वाले साबूदाना खरीदने से बचें। मिलावटी साबूदाने ज्यादा इसलिए चमकते हैं क्योंकि इसमें व्हाइटिंग एजेंट्स डाल कर इसे सफेद बनाया जाता है।

3. पानी में डालकर करें पहचान (Water test for sabudana)  

 असली साबूदाने की पहचान पानी में डालकर भी किया जा सकता है। पानी में डालने के बाद कुछ ही घंटों में यह तेजी से फूलने लगता है। इसका पानी सटार्च से भरपूर होता है। ऐसे में पानी लसलसा महसूस होता है। जबकि, मिलावटी साबूदाने को पानी में डालने से यह अच्छी तरह न तो फूलता है और न ही पानी लसलसा होता है।  

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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: caasindia.in में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को caasindia.in के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। caasindia.in लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी/विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

 

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