15 साल बाद हुआ बीमारी का खुलासा
नई दिल्ली।टीम डिजिटल : किसी परिवार का एक सदस्य जब Ankylosing Spondylitis जैसी लाइलाज बीमारी से पीडित होता है, तब मरीज का शरीर उसकी पीडा सहती है लेकिन पारिवारिक सदस्यों की आत्मा उस दर्द की पीडा को महसूस करती है। यह हाल तब होता है जब इस Autoimmune rheumatic diseases से परिवार का सिर्फ एक सदस्य पीडित होता है। जरा सोचिए अगर पारिवारिक जीवन के दो महत्वपूर्ण स्तंभ पति और पत्नी (Husband and Wife) दोनों ही AS से पीडित होे, तो उस परिवार की परिस्थितियां क्या होगी?
हम आज आपको ऑस्ट्रेलिया के एक ऐसे दंपत्ति की कहानी (Story of ankylosing spondylitis patient) शेयर करने जा रहे है, जिन्हें महज दो वर्षों के दौरान इस बीमारी से पीडित होने का पता चला और वे न केवल हैरान रह गए बल्कि उनके पैरों तले जमीन ही खिसकती हुई महसूस हुई।
30 वर्ष की उम्र में दोनों को हुआ AS :

एक स्थानीय मीडिया से Jemma Newman ने कुछ इस तरह अपनी आपबीती साझा की। उन्होंने कहा कि यह उनके लिए एक बडा सदमा था। जब उनके पति, डेव और जेम्मा दोनों को ही महज दो वर्ष के भीतर ही एंकिलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस (एएस) होने का पता चला।
वह वर्ष 2020 था, जब दोनों के लिए परिस्थितियां गंभीर हो चली थी। दोनों की उम्र करीब 30 वर्ष के करीब रही होगी, जब उन्हें इस बीमारी की चपेट में आने का पता चला। जेम्मा अपने पति डेव और दो ऊर्जावान बच्चों के साथ ऑस्ट्रेलिया रह रही थी। जेम्मा के मुताबिक जब उन्हें खुद के AS से पीडित होने का पता चला तब डेव भी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे लेकिन विशेषज्ञ तबतक यह पता नहीं लगा पाए थे कि उनके पति के साथ क्या गलत घटित हो रहा था।
लंबे वक्त के बाद हुआ AS का निदान:

आंखों में चमक लिए जेम्मा बताती हैं कि डेव और वे पहली बार विश्वविद्यालय में मिले थे, जब उनकी उम्र करीब 20 वर्ष रही होगी। उस समय से ही दोनों के शरीर में असहनीय पीडा थी। अगर वे डेव के कंधों पर हाथ रखती तो उन्हें ऐसा अहसास होता था कि उनपर किसी हड्डी को कुचलने वाली मशीन का इस्तेमाल कर रहा है।
डेव अपनी गर्दन, पीठ, छाती, ग्लूट्स और हैमस्ट्रिंग से लगातार परेशानी महसूस कर रहे थे। 2014 में, उन्हें पिरिफोर्मिस सिंड्रोम के साथ गलत निदान किया गया था, जो बट, कूल्हे या ऊपरी पैर में दर्द या सुन्नता का कारण बनता है। डेव बहुत देर तक खड़े रहने, रेस्तरां के सख्त कुर्सियों पर बैठने और कहीं आने जाने में भारी परेशानी महसूस कर रहे थे। कुलमिलाकर कहा जाए तो उन्हें असहनीय पीडा का सामना करना पड रह था। इस तरह से दो दशकों तक उनकी बीमारी का निदान नहीं हुआ। जेम्मा के मुताबिक AS के मामले में यह स्थिति बेहद अफसोस जनक है।
डेव जब 30 वर्ष की आयु में पहुंचे तो उनकी स्थिति पहले के मुकाबले अधिक गंभीर हो चुकी थी। एक दिन वे रेतीले ऑस्ट्रेलियाई द्वीप पर दोस्त की प्री-वेडिंग पार्टी में गए थे। इस दौरान उन्होंने बियर से भरे हुए एक बॉक्स को उठा लिया। वह भारी था और उसके बाद उनके sacroiliac जोड़ों के असहनीय पीडा शुरू हो गई। इस घटना के बाद वह बेड रिडेन हो गया। जेम्म के मुताबिक इस घटना से उनका दिल टूट रहा था। उनसे डेव की तकलीफ देखी नहीं जा रही थी।
इस दौरान वह लंबे समय तक डॉक्टरों और फिजियोथेरेपिस्ट के पास चक्कर लगाते रहे लेकिन इससे उन्हें किसी तरह की राहत नहीं मिली। एक्स-रे निर्देशित कोर्टिसोन इंजेक्शन से भी कूल्हे के जोड़ में राहत नहीं मिली। वहीं योग करने से उनके दर्द की स्थिति और बिगड गई। स्थिति की गंभीरता इसी से समझी जा सकती है कि एक दिन में उन्हें छह वोल्टेरेन (डाइक्लोफेनाक) गोलियां खानी पड रही थी। वह बेड रूम से लेकर लाउंज तक चलने के लिए बेंत का सहारा लेने लगे थे। डेव 15 कदम भी ठीक से नहीं चल पा रहे थे।
कुछ समय के बाद उन्होंने एक नए डॉक्टर से संपर्क किया। जेम्मा के मुताबिक नया डॉक्टर उनकी बीमारी को लेकर ज्यादा गंभीर था। उन्होने डेव को कूल्हों और पीठ के निचले हिस्से का एक्स-रे और एमआरआई कराने के लिए कहा। विशेषज्ञ ने जब उनकी इमेजिंग की रिपोर्ट देखा तो पूछा कि क्या कभी आपकी कोई कार दुर्घटना हुई थी या कभी कोई गंभीर चोट लगी है?
डेव और जेम्मा यह सुनकर हैरान रह गए। इसके बाद डॉक्टर ने उन्हें आनुवंशिक मार्कर एचएलए-बी27 के रक्त परीक्षण के लिए भेजा और इसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। डॉक्टर ने सभी रिपोर्ट का विश्लेषण करने के बाद निष्कर्श निकाला कि उन्हें Ankylosing Spondylitis है और एमआरआई में दिखाई देने वाली विसंगतियां एंकिलोज़िंग स्पोंडिलिटिस के कारण ही पैदा हुई है। जेम्मा के मुताबिक करीब 15 से अधिक वर्षों के बाद कहीं जाकर डेव की बीमारी का सही निदान संभव हो पाया। आखिरकार डेव को रुमेटोलॉजिस्ट के पास भेजा गया।
परिवार के लिए चुनौती साबित होती है Chronic Disease :

जेम्म के मुताबिक अब वे यह समझ गए थे कि उनकी आगे की जिंदगी आसान नहीं होने वाली है क्योंकि Chronic (पुरानी) disease कई कठिनाईयां पैदा करने वाली साबित होंगी। अब वे यह सोच रही थी कि जो व्यक्ति 20 मीटर (लगभग 22 गज) नहीं चल सकता था वह अब सामान्य रूप से अपने कार्य कैसे कर पाऐंगे। बिगडते हुए लक्षणों के साथ डेव रोजाना अपने कार्य के लिए कैसे यात्रा कर पाऐंगे। रोजाना बाइक की सवारी, ट्रेन यात्रा जैसी चीजें उनके लिए अब कठिन प्रतीत हो रहा था। ।
सबसे बडा सवाल तो यह था कि वे दोनों अब अपने 2 और 5 साल की उम्र के बच्चों के पालन-पोषण की जरूरतों को कैसे पूरा कर पाऐंगे। स्थिति को इसी से समझा जा सकता है कि सूजन वाली रीढ़ की हड्डी के साथ 18 किलोग्राम के बच्चे (लगभग 40 पाउंड) को उठाने की वजह से उनका दर्द बुरी तरह बढ जाता था। बडा सवाल यह भी था कि उनका स्वास्थ्य तेजी से खराब हो रहा था तो एक-दूसरे की देखभाल कैसे करेंगे? वे जानते थे कि उन्होंने अपनी पूरी क्षमता के साथ AS से लड़ना होगा। उन्हें एक दूसरे की ताकत बननी होगी।
संघर्ष ने बना दिया पहले से अधिक मजबूत :

AS से जूझ रहे जेम्मा और उनके पति की संयुक्त यात्रा ने उन्हें यह सिखाया कि ऐसी परिस्थिति में वह खुद को और अपने पति को इस हाल में छोड नहीं सकती। उन्हें पूरी ताकत से इसका मुकाबला करना होगा और इस बीमारी के साथ जीने की आदत विकसित करनी होगी। दोनों ने ही यह तय किया कि अब वह एक दूसरे का सहयोग करेंगे और साथमिलकर इस बीमारी से निपटने के उपाए ढूढेंगे।
जेम्मा के मुताबिक बीमारी से जूझते हुए उन्होंने एक-दूसरे की मदद करने के कुछ तरीकों को भी ढूंढ निकाला। उन्होंने जानकारी जुटाई कि बिना स्टार्च वाले आहार के माध्यम से नींद में सुधार कैसे करें, कैसे रोमांचक अनुभव करें, खुश महसूस करें और दर्द को कम करें। दोनों के आगे अब भी कई चुनौतियां थी लेकिन उन्होंने यह समझ लिया था कि उन्होंने जितना खुद के लिए सोचा है, उससे अधिक प्रयासों को अभी करने की जरूरत थी।
अपने स्वास्थ्य के लिए मजबूती से जारी रखें संघर्ष :
एएस के लक्षणों वाले किसी भी व्यक्ति के लिए जेम्मा संदेश देती हैं कि आप निराश न हो और खुद को बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयास जारी रखें। आप यह उम्मीद न रखें कि चिकित्सा प्रणाली से इसका सामाधान आपको मिल जाएगा। आप अपने स्तर पर भी वह सारे उपाए करें, जिससे आपको राहत मिलती है। अपने डॉक्टर से सवाल पूछें। जरूरत पड़ने पर नए डॉक्टर की तलाश करें। शोध करते रहें। कृपया तब तक हार न मानें जब तक आपके पास आपकी स्थिति को बेहतर करने का कुछ उपाए न मिल जाए।
जेम्मा के मुताबिक AS से निपटने के उपाए की तलाश जारी रखने के लिए बहुत ताकत और दृढ़ संकल्प की आवश्यकता होती है, खासकर जब आप थके हुए हों और कोई आपको कहे कि “नहीं,” “यह आपके दिमाग में है,” या “मैंने उस लक्षण के बारे में कभी नहीं सुना है। याद रखें हर छोटा प्रयास आपके लिए राहत लेकर आ सकता है।
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