Friday, October 11, 2024
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Ankylosing Spondylitis में Cardiovascular Disease का ऐसे करें जोखिम कम

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Ankylosing Spondylitis में बना रहता है cardiovascular Disease का जोखिम

नई दिल्ली।टीम डिलिटल : एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (Ankylosing Spondylitis) के मरीजों में कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों (Cardiovascular Disease) का खतरा सामान्य लोगों के मुकाबले कहीं अधिक होता है। जर्नल ऑफ क्लिनिकल मेडिसिन रिसर्च के मुताबिक, एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस से पीड़ित 2 से 10 प्रतिशत लोगों को हृदय संबंधी समस्याएं भी होती हैं। हृदय संबंधी स्थितियां जैसे पेरिकार्डिटिस (हृदय के चारों ओर की झिल्ली की सूजन और जलन) और कार्डियोमेगाली (सामान्य से बडा दिल) एएस से पीडित मरीजों में हो सकती है।

स्पाइन से आगे बढकर सेहत का ख्याल रखना जरूरी

फ़ीनिक्स, एरिज़ोना में डिग्निटी हेल्थ मेडिकल ग्रुप के कार्डियो-रुमेटोलॉजी विशेषज्ञ, राचेल बॉन्ड के मुताबिक “जब भी हम एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (Ankylosing Spondylitis) के बारे में विचार करते हैं, तो सबसे पहले हमें पीठ में दर्द और स्पाइन की समस्या का ख्याल आता है, जो अच्छी बात है लेकिन हमें स्पाइन की समस्या से आगे बढकर भी सोंचने की जरूरत है। एएस मरीज को हृदय रोग को प्रमुखता से अपनी रडार पर रखना चाहिए और इस समस्या से संबंधित जोखिम कम करने वाले साधनों को अपनाना चाहिए। बॉन्ड के मुताबिक जोडों, मसल्स, नर्व के साथ हमें अपने शरीर के वाइटल अंगों के केयर के लिए भी जागरूक होने की जरूरत है।

एएस के निदान से पहले ही चपेट में ले सकता है हृदय रोग

रॉकअवे, एनजे में स्काईलैंड्स मेडिकल ग्रुप के रुमेटोलॉजिस्ट, एम.डी., जेसन लिबोविट्ज़ के मुताबिक, एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस मरीजों को हृदय रोग को लेकर इसलिए भी जागरूक रहने की जरूरत है क्योंकि कई बार एएस के निदान से पहले ही मरीज को हृदय रोग से पीडित पाया गया है। जर्नल ऑफ़ क्लिनिकल मेडिसिन रिसर्च के अनुसार, एएस का निदान होने से पहले ही हृदय रोग उभर सकता है।

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एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस और हृदय रोग में क्या है संबंध

Ankylosing Spondylitis में cardiovascular Disease का ऐसे करें जोखिम कम
Ankylosing Spondylitis में cardiovascular Disease का ऐसे करें जोखिम कम

एंकिलॉज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस को एक ऑटोइम्यून स्थिति के रूप में जाना जाता है। इसका अर्थ यह है कि आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से आपके शरीर में कोशिकाओं पर हमला करना शुरू कर देती है। जिससे सूजन की स्थिति पैदा होती है। डॉ. बॉन्ड के मुताबिक “और जब भी आपके शरीर में सूजन की स्थिति होती है, तो आपको हृदय रोग होने का खतरा अधिक होता है।” आपके शरीर में इन्फ्लेमेशन को ट्रिगर करने वाले रसायन शरीर में मौजूद होते हैं।

यह धमनियों की दीवारों पर बनी गंदगी (जिन्हें प्लाक कहा जाता है) पर हमला कर सकते हैं। जब ऐसा होता है, तो उस पट्टिका में से कुछ के टूटने, रक्त का थक्का बनने और धमनी के माध्यम से रक्त के प्रवाह को अवरुद्ध करने का जोखिम होता है। यदि वह धमनी आपके हृदय को पोषण देती है, तो इसका अर्थ है, दिल का दौरा। यदि कोई धमनी मस्तिष्क को पोषण देती है और वह प्रभावित होती है, तो इसका परिणाम स्ट्रोक के रूप में सामने आ सकता है।

सूजन से बचना इसलिए है जरूरी

डॉ. बॉन्ड के मुताबिक एएस से जुड़ी हृदय स्थितियों में महाधमनीशोथ, या महाधमनी की सूजन होती है। इससे महाधमनी कठोर हो सकती है। इसके अलावा सूजन के परिणामस्वरूप कार्डियोमायोपैथी हो सकती है, जब हृदय बड़ा और कमजोर हो जाता है।” सूजन भी अतालता के लिए जिम्मेदार हो सकती है। “यदि आपका दिल बहुत तेज़ धड़कता है, तो इस अतालता को टैचीकार्डियाकहा जाता है और यदि यह बहुत धीमी है, तो इसे ब्रैडीकार्डिया कहा जाता है।

हार्ट अटैक का कितना जोखिम

एक मेटा-विश्लेषण में सामान्य आबादी की तुलना में एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस और सूजन संबंधी गठिया के अन्य रूपों वाले लोगों में हृदय संबंधी जोखिम को देखा गया है। गठिया से पीड़ित लोगों में दिल का दौरा पड़ने की संभावना 1.52 गुना अधिक पाई गई। यह आंकडा बिना गठिया वाले लोगों की तुलना में 1.21 गुना अधिक होती है। हम जानते हैं कि एएस वाले लोगों में महाधमनी अपर्याप्तता होने का जोखिम 47 प्रतिशत अधिक होता है।

वहीं, स्ट्रोक का खतरा 25 प्रतिशत अधिक होता है। इसमें युवाओं की संख्या भी शामिल है, जिनमें हृदय रोग होने के बारे में सामान्य रूप से सोचा भी नहीं जा सकता। गठिया पर किए गए एक शोध के अनुसार, जिन लोगों को एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस है, (विशेष रूप से युवा लोगों में) न केवल दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा अधिक होता है, बल्कि उनके कारण अस्पताल में भर्ती होने की संभावना भी 30 प्रतिशत अधिक होती है।

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ऐसे कर सकते हैं जोखिम कम

डॉ. बॉन्ड के मुताबिक, यदि आपको एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस है, तो अपने प्राथमिक देखभाल प्रदाता से हृदय रोग विशेषज्ञ को दिखाने के बारे में बात करें। यदि आपको उच्च रक्तचाप या उच्च कोलेस्ट्रॉल है, जो हृदय रोग के लिए जोखिम कारक हैं, तो आपको वैसे भी हृदय रोग विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए। आपके डॉक्टर के साथ यह बातचीत महत्वपूर्ण है क्योंकि आपको हमेशा प्रारंभिक चरण के हृदय रोग के लक्षणों का अनुभव नहीं हो सकता है।

अगर सीने में दर्द के साथ सांस लेने में भी तकलीफ हो तो तत्काल विशेषज्ञ से परामर्श लें। हालांकि, कई बार रिब्स में जकडन और सूजन की वजह से भी इस तरह के लक्षण प्रकट हो सकते हैं लेकिन हर बार यह सूजन और अकडन की वजह से ही हो, यह मानकर लापरवाह हो जाना खतरनाक भी हो सकता है।

एएस पूरे हृदय प्रणाली के लिए समस्या पैदा कर सकता है लेकिन समय रहते अगर हम उसे नियंत्रित करने में कामयाब हो जाते हैं, तो हम कई जटिलताओं से बच सकते हैं। आमतौर पर हृदय रोग  से बचने के लिए शराब और धुम्रपान या तंबाकु सेवन से दूर रहने के लिए कहा जाता है और यह बेहद जरूरी भी है। सबसे जरूरी है कि आप अपने वजन और कोेलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रखें। इसके अलावा नियमित रूप से व्यायाम करना सबसे फायदेमंद तरीका है।

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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

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