Wednesday, October 9, 2024
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दुर्लभ बीमारी spinal muscular atrophy type ii से पीड़ित मासूम की सहायता करेंगे भारतीय-अमेरिकी

स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप-2 (spinal muscular atrophy type ii) से पीडित 21 महीने के मासूम के पास इसके उपचार के लिए महज दो महीने का ही समय रह गया है।

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Rare Disease स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) टाइप-2 के उपचार के लिए 17 करोड के इंजेक्शन की जरूरत

Rare Disease spinal muscular atrophy type ii in Hindi :  दुर्लभ बीमारी (Rare Disease) स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप-2 (spinal muscular atrophy type ii) से पीडित 21 महीने के मासूम के पास इसके उपचार के लिए महज दो महीने का ही समय रह गया है। संकट की इस घडी में इस मासूम की सहायता के लिए भारतीय-अमेरिकी नागरिकों (Indian-American citizens) ने दरियादिली दिखाई है।
मासूम हृदयांश की जान बचाने के लिए उसे जोलजेंस्मा (zolgensma) नामक इंजेक्शन (injection) लगाने की जरूरत है। जो बेहद महंगी है। इसकी कीमत (zolgensma price) 17.50 करोड रुपए हैं। हृदयांश राजस्थान के धौलपुर का रहने  वाला है।

हृदयांश की जान बनाने के लिए मुहिम शुरू | Campaign started to save Hridayansh’s life

दुर्लभ बीमारी से पीडित मासूम हृदयांश अपनी मां के साथ
दुर्लभ बीमारी से पीडित मासूम हृदयांश अपनी मां के साथ
डॉक्टरों ने हृदयांश के माता-पिता को यह बता दिया है कि बच्चे को शीघ्र उपचार की जरूरत है। उसे लाइफ सेवर इंजेक्शन (Life Saver Injection for spinal muscular atrophy type ii) जोलजेंस्मा (zolgensma) का खर्च उठाने में धौलुपर के मनिया पुलिस थाने में तैनात सब इंस्पेक्टर नरेश शर्मा असमर्थ है। जिसके बाद देशभर में हृदयांश की जान बचाने के लिए मुहिम शुरू की गई है।

Spinal Muscular Atrophy Type ii : एकमात्र उपचार है जोलजेंस्मा (zolgensma)

चिकित्सक के मुताबिक, दुर्लभ बीमारी से जूझ रहे हृदयांश की जिंदगी बचाने के लिए वर्तमान में एक मात्र इंजेक्शन जोलजेंस्मा (zolgensma) उपलब्ध है। यह एक उत्कृष्ट जीन चिकित्सा उपचार (gene therapy treatment) है, जो ऐसी एसएमए बीमारी  (SMA Disease) से पीडित बच्चों को जीवन जीने की आशा प्रदान करता है।

कमर के नीचे का हिस्सा है निष्क्रिय

मासूम हृदयांश को दुर्लभ बीमारी से बचाने के लिए महज दो महीने का समय ही बचा हुआ है। घातक बीमारी से पीडित हृदयांश के कमर के नीचे का हिस्सा निष्क्रिय हो चुका है। विशेषज्ञों के मुताबिक, इस बीमारी का उपचार (Treatment Timeline for Spinal Muscular Atrophy Type 2) 24 महीने की उम्र तक ही किया जा सकता है। अमेरिका के राजस्थान एलायंस ऑफ नार्थ अमेरिकन (राना) (Rajasthan Alliance of North Americans (RANA)) और जयपुर फुट यूएसए (Jaipur Foot USA) के सदस्य नन्हे ने हृदयांश के उपचार के लिए मुहिम शुरू की है। जिसके जरिए उसके इंजेक्शन के लिए धन जुटाया जाएगा।

8 महीने का होने के बाद भी चलना नहीं शुरू किया

हृदयांश के पिता और पुलिस सब इंस्पेक्टर नरेश शर्मा के मुताबिक, उनके बेटे ने 8 महीने का होने के बाद भी चलना शुरू नहीं किया। जिसके बाद वे उसे जयपुर के एक अस्पताल लेकर गए। तमाम जांच के बाद डॉक्टरों ने कहा कि उसकी मांसपेशियां कमजोर हैं। डॉक्टरों ने कहा कि उसे फिजियोथेरेपी की आवश्यकता है। सबकुछ करने के बाद भी जब कोई सुधार नजर नहीं आया, तब वे उसे लेकर दूसरे अस्पताल में गए। बावजूद इसके कोई लाभ नहीं हुआ।

चार डॉक्टरों की एक समिति गठित

इंजेक्शन के इंतजाम के लिए चार डॉक्टरों की एक समिति गठित की गई है। जिसमें डॉ. शशि साहा, डॉ राज मोदी, डॉ शरद कोठारी, और डॉ विजय आर्य शामिल हैं। यह सभी इंजेक्शन निर्माता कंपनी नोवार्टिस (injection manufacturing company Novartis) के साथ तालमेल स्थापित करने में जुटे हुए हैं। राना (RANA) के अध्यक्ष प्रेम भंडारी के मुताबिक, वे इस बच्चे के उपचार को लेकर आशावादी हैं और सकारात्मक परिणाम की उम्मीद करते हैं।

स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA रोग) क्या है?

स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA रोग) या SMA बीमारी एक जेनेटिक डिसऑर्डर (genetic disorder) या आनुवंशिक रोग (genetic disease) है। यह ब्रेन की नर्व सेल्स और रीढ़ की हड्डी (motor neurons) को प्रभावित करती है। इसमें मांसपेशियां तेजी से कमजोर होने लगती है। SMA रोग, मांसपेशियों की गतिविधियों को प्रभावित करती हैं, जिसके कारण मरीज का चलना, बोलना, निगलना, सांस लेना कठिन हो जाता है। एसएमए वाले बच्चों की अक्सर शारीरिक क्षमताएं प्रभावित होती हैं, लेकिन बौद्धिक रूप से यह सक्षम होते हैं।

स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA रोग) के कारण (Cause)

यह बीमारी, आनुवंशिक रोगों से होनेवाले शिशुओं और बच्चों की मृत्यु के प्रमुख कारणों की सूची में शामिल है। SMA रोग या स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के लक्षण शिशुओं और बच्चों में ज्यादातर पाए जाते हैं।

इसलिए दुर्लभ रोग है स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA रोग)

SMA रोग एक दुर्लभ बीमारी है, लेकिन विश्व भर में स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के लक्षण पाया जाना आम है। SMA रोग या स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के लक्षण 40 में से 1 से लेकर 60 में से 1 व्यक्ति में पाए जा सकते हैं। WHO के अनुसार दुनिया भर में पैदा होने वाले 10,000 शिशुओं में से SMA रोग से लगभग एक शिशु प्रभावित होता है। बीमारी के लक्षण पाए जाना भले ही दुर्लभ क्यों ना हो लेकिन भारत जैसे विशाल आबादी वाले देश में इस बीमारी से बड़ी संख्या में बच्चे प्रभावित होते हैं।

क्या स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA रोग) एक खतरनाक बीमारी है? 

SMA रोग एक दुर्लभ बीमारी तो है लेकिन जागरूकता की कमी होने की वजह से अक्सर इसके लक्षण नज़रअंदाज़ कर दिए जाते हैं।  नतीजतन मरीज के लिए एक ख़तरनाक स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के लक्षण (Symptoms)

1. मांसपेशियों में कमजोरी महसूस होना: मांसपेशियों में कमजोरी महसूस होना, स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के लक्षण में से एक प्रमुख लक्षण है।
2. खड़े होने, चलने, बैठने में दिक्कत होना: यह लक्षण  शिशुओं और छोटे बच्चों में स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के लक्षण के पहले लक्षणों में से एक है।
3. साँस लेने और निगलने में दिक्कत महसूस करना: साँस लेने और निगलने में दिक्कत महसूस करना, स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के लक्षण में शामिल हैं।
4. जोड़ों की समस्याएँ: जोड़ों की समस्याएँ उत्पन्न होना भी स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के लक्षण में से एक लक्षण है।
5. हृदय संबंधी समस्याएँ: स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के गंभीर मामलों में हृदय संबंधी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।

नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: caasindia.in में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को caasindia.in के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। caasindia.in लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी/विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

 

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