Saturday, July 27, 2024
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Medical Negligence : एनेस्थीसिया देने में की लापरवाही, मरीज को मिलेगा 10 लाख मुआवजा 

मरीज को सर्जरी के दौरान एक ट्रेनी ने एनेस्थीसिया दिया था। इस दौरान हुई लापरवाही (Medical Negligence) के कारण मरीज की आवाज ही बदल गई। मरीज की आवाज कर्कश हो गई।

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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने प्राइवेट अस्पताल को दिए निर्देश

Medical Negligence : चिकित्सकीय लापरवाही किसी भी मरीज और उसके परिवार की जिंदगी को बदल सकती है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है। जिसमें एक निजी अस्पताल पर आरोप था कि उन्होंने एक मरीज को एनेस्थीसिया देने में लापरवाही (Negligence in giving anesthesia to the patient) बरती। नतीजतन, मरीज की आवाज कर्कश हो गई। इस मामले पीडित ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पीडित मरीज को 10 लाख रुपए मुआवजे के तौर पर देने के निर्देश दिए हैं।

Medical Negligence : ट्रेनी ने दिया था मरीज को एनेस्थीसिया

Medical Negligenc : एनेस्थीसिया देने में की लापरवाही, मरीज को मिलेगा 10 लाख मुआवजा
Medical Negligenc : एनेस्थीसिया देने में की लापरवाही, मरीज को मिलेगा 10 लाख मुआवजा | Photo : Canva
मरीज को सर्जरी के दौरान एक ट्रेनी ने एनेस्थीसिया दिया था। इस दौरान हुई लापरवाही (Medical Negligence) के कारण मरीज की आवाज ही बदल गई। मरीज की आवाज कर्कश हो गई। मामला उपभोक्ता फोरम से सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने ऑपरेशन के दौरान एनेस्थीसिया देने में गड़बड़ी को सही पाया। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मरीज की पत्नी को मुआवजे के तौर पर 10 लाख रुपये भुगतान करने के निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस हीमा कोहली की अगुआई वाली बेंच के सामने यह मामला आया। सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल लापरवाही मामले में यह फैसला दिया है।

यह था पूरा मामला 

दरअसल, मरीज की सर्जरी हुई थी। इस दौरान उसे एनेस्थीसिया देने में चूक (Medical Negligence) हो गई। इस कारण से मरीज की आवाज परिवर्तित हो गई। इस हादसे के बाद मरीज को नौकरी में प्रमोशन में समस्या हो गई। मरीज अपने उपचार के बाद वर्ष 2003 से लेकर 2015 (जब तक जिंदा रहे) प्रमोशन नहीं पा सके।
मामले की पेंडेंसी के दौरान मरीज की मौत हो चुकी थी। मरीज की पत्नी की ओर से यह आग्रह किया गया कि रकम का भुगतान उन्हें किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह अस्पताल की जिम्मेदारी है कि वे ये सुनिश्चित करते कि एनेस्थीसिया से संबंधित डबल ट्यूब डालने की प्रक्रिया को इस विभाग का हेड से पूरा करवाते।
उनकी गैर मौजूदगी में ट्रेनी से इस प्रक्रिया को पूरी कराई गई। इस मामले में जिला उपभोक्ता फोरम ने पहले ही पांच लाख रुपए मुआवजे का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने मुआवजे की रकम को बढाकर दोगुना कर दिया। साथ ही अस्पताल को इस रकम का 10 प्रतिशत ब्याज भी भुगतान करने का निर्देश दिया।

नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: caasindia.in में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को caasindia.in के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। caasindia.in लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी/विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

 

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