देश में जल्द लागू होगा चिकित्सकीय उपकरणों के संबंध में नया नियम
नई दिल्ली : अगर चिकित्सा उपकरणों की गुणवत्ता खराब पाई जाती है, तो निर्माता कंपनियों को इसका जवाब देना पडेगा। चिकित्सा उपकरणों की उन्नत गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए सरकार शीघ्र ही देश में नए नियम लागू कर सकती है।
नए नियमों के तहत उपकरणों की गुणवत्ता में खराबी या जांच रिपोर्ट गलत पाए जाने पर चिकित्सा उपकरण आपूर्ति करने वाली कंपनियों पर नकेल कसने की तैयारी की जा रही है। सरकार ने यह फैसला किया है कि राज्य स्तर पर बाजार में उपलब्ध इनविट्रो डायग्नोस्टिक मेडिकल डिवाइस (आईवीडीएमडी) की निगरानी की जाएगी। इसे पोस्ट मार्केट सर्विलांस का नाम दिया है। सूत्र बताते हैं कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने इस संबंध में नये नियमों का खाका भी तैयार कर लिया है।
41 वर्ष की उम्र में आप भी पा सकते हैं श्वेता तिवारी जैसी फिटनेस
AS warriors को जरूर होनी चाहिए ये जानकारी
Health Benifits of Mango : बीपी की समस्या से आराम दिलाएगा आम
Health Tips : आपके भोजन में अगर यह सब है शामिल तो कैल्शियम कभी नहीं होगा कम
Health Tips : डायबिटीज है और कंधे में भी होता है दर्द
नए नियम के तहत ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि अगर किसी मरीज को गलत जांच रिपोर्ट मिलती है और इसके लिए उस मशीन को जिम्मेदार पाया गया, जिसकी मदद से रिपोर्ट तैयार की गई है, तो उपकरण बनाने वाली कंपनी के खिलाफ सरकारी तंत्र संज्ञान लेगा और दोषी पाए जाने पर निर्माता कंपनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी की जाएगी। मौजूदा व्यवस्था के तहत इस तरह की शिकायतों के मामले में निर्माता कंपनी आसानी से अपना बचाव कर लेती है।
नए नियमों के लागू होने के बाद इनके लिए बचना इतना आसान नहीं होगा क्योंकि लैब में उपकरण की गुणवत्ता से संबंधित खराबी पाए जाने पर इसकी सीधी शिकायत स्थानीय औषधि नियंत्रण विभाग को किया जा सकेगा। इसकी शिकायत डॉक्टर और नर्स दोनों ही कर सकेंगे। हालांकि, सीडीएससीओ के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक इनविट्रो डिवाइस का इस्तेमाल सीधे तौर पर मरीजों से संबंधित नहीं होता है। जबकि, इन्हीं में से ग्लूकोमीटर जैसे कुछ उपकरण भी हैं, जिनका सीधा वास्ता मरीजों को पडता है। फिलहाल नियम लैब से संबंधित उपकरणों को ध्यान में रखकर तैयार किए जा रहे हैं।
इनविट्रो डायग्नोस्टिक मेडिकल डिवाइस का ज्यादातर उपयोग हैपेटाइटिस, एचआईवी, कैंसर, मलेरिया, डेंगू सहित अन्य तरह के संक्रमण इत्यादि की जांच में किया जाता है। इन उपकरणों से जांची गई रिपोर्ट मरीजों के उपचार में बहुत काम आती है। कई बार यह पाया जाता है कि किसी मरीज की जांच रिपोर्ट निगेटिव आई है लेकिन बाद में उसके संक्रमित होने की दूसरी जांच रिपोर्ट में पुष्टि होती है। कई बार ठीक इसका उल्टा भी देखने को मिलता है कि एक सामान्य व्यक्ति की जांच रिपोर्ट तकनीकी खराबी के कारण पॉजिटिव आती है और उसे संंबंधित रोग का संक्रमित घोषित कर दिया जाता है। इस तरह की खामी पाए जाने पर नई व्यवस्था के तरह उपकरण बनाने वाली कंपनी को जवाब देना होगा।
नए नियमो के तहत जिला औषधि नियंत्रक अधिकारी को इसका पूरा अधिकार होगा कि इस मामले में वे स्वतंत्र रूप से फैसला ले सके। जिन उपकरणों को राष्ट्रीय स्तर पर सीडीएससीओ से मान्यता प्राप्त है वे सभी इसके दायरे में होंगे। नये नियम लागू होने का सबसे अधिक लाभ स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता को होगा। मरीज की जांच रिपोर्ट में खामियों की संभावना कम से कम होगी।
Read : Latest Health News|Breaking News |Autoimmune Disease News |Latest Research | on https://caasindia.in | caas india is a Multilanguage Website | You Can Select Your Language from Social Bar Menu on the Top of the Website.
नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
अस्वीकरण: caasindia.in में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को caasindia.in के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। caasindia.in लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी/विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।