Saturday, July 27, 2024
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एम्स : महर्षि सुश्रुत की सर्जरी पर रिसर्च करेंगे विशेषज्ञ   

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प्ला​स्टिक सर्जरी विभाग करेगा रिसर्च

नई दिल्ली। एम्स 3000 वर्ष पुरानी सर्जरी पर शोध करने जा रहा है। यह रिसर्च एम्स के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के विशेषज्ञ करेंगे। भारतीय चिकित्सा विज्ञान और प्लास्टिक सर्जरी के जनक महर्षि सुश्रुत की एक सर्जरी की बारीकियों को परखा जाएगा। विशेषज्ञों के अनुमान के मुताबिक सुश्रुत संहिता 3000 साल पहले और 600 ईसा पूर्व लिखी गई थी। कुलमिलाकर देखा जाए तो वैदिक विज्ञान को आधुनिक विज्ञान की कसौटी पर कसने की तैयारी की जा रही है। 
इस रिसर्च के दौरान वर्तमान मेडिकल सर्जरी और महर्षि सुश्रुत की सबसे पुरानी रिकॉर्ड की गई सर्जरी का तुलनात्मक अध्ययन (comparative study) किया जाएगा। एम्स ने केंद्र सरकार के विज्ञान और तकनीकी विभाग से इस रिसर्च के लिए अनुदान देने का निवेदन किया है। 

सर्जरी के पितामह माने जाते हैं महर्षि सुश्रुत :

काफी कम लोग जानते हैं कि विश्व में प्लास्टिक और कॉस्मेटिक सर्जरी की शुरूआत भारत की भूमि से ही हुई थी। जानकारी के अभाव में और प्राचीन इतिहास से दूरी के चलते लोग इस सर्जरी को विदेशी उपलब्धि मानते हैं। महर्षि सुश्रुत प्राचीन भारत के महान चिकित्साशास्त्री थे। शल्य चिकित्सा विज्ञान में उन्हें महारत हासिल था। इन्हें सर्जरी तकनीक का पितामह माना जाता है। प्राचीन पुस्तकों से प्राप्त जानकारियों के मुताबिक सुश्रुत सर्जरी के लिए 125 तरह के उपकरणों का उपयोग करते थे। उन्होंने 300 प्रकार की सर्जरी प्रक्रियाओं की खोज की थी। महिर्ष सुश्रुत को कॉस्मेटिक सर्जरी में विशेष महारत हासिल था। वो आंखों की सर्जरी में भी दक्ष माने जाते थे। सर्जरी के सा​थ शारीरिक संरचना, बॉडी थेरेपी, बाल रोग, स्त्री रोग, मनोरोग ((Mental Health) के मामले में भी वे विशेषज्ञ माने जाते थे।

काशी में हुई थी पहली सर्जरी :

आयुर्वेद विशेषज्ञों के एक समूह के मुताबिक दुनिया की पहली प्लास्टिक सर्जरी काशी में लगभग ढाई हजार साल पहले महर्षि सुश्रुत ने अंजाम दिया था। बताया जाता है कि महर्षि के पास एक व्यक्ति अपनी कटी हुई नाक लेकर आया था। सुश्रुत ने पहले उस व्यक्ति को नशीला पदार्थ पिलाया और बेहोशी की हालत में पत्तों की मदद से उसके नाक की आकार को समझकर टांके लगाकर जोड दिया। 

सुश्रुत संहिता में 150 से अधिक प्रकार के सर्जिकल उपकरणों का जिक्र :

एम्स के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. मनीष सिंघल के मुताबिक सुश्रुत संहिता में 150 से अधिक प्रकार के सर्जिकल उपकरणों की चर्चा मिलती है। हलांकि, यह उपकरण अभी की तुलना में लेटेस्ट इक्विपमेंट की तरह फाइन और सोफिस्टिकेट नहीं थे। इनमें चाकू, सुई, चिमटा, प्राकृतिक धागे सहित कई नुकीले औजार शामिल थे। इनका उपयोग पानी में कई बार उबालने के बाद किया जाता था। आज भी सर्जरी से पहले उपकरणों को सटेरेलाइज्ड करने की प्रक्रिया को अनिवार्य तौर पर अंजाम दिया जाता है। 

संहिता में 1120 बीमारियों के लक्षण और उनकी सर्जरी की है चर्चा : 

आयुर्वेद विशेषज्ञों के मुताबिक सुश्रुत संहिता में 184 अध्याय हैं। जिसमें 1120 बीमारियों के लक्षण और उनकी सर्जरी की चर्चा मिलती है। संहिता में सर्जरी के दौरान उपयोग में आने वाले 700 तरह के पौधों की पहचान और गुणों का जिक्र किया गया है। इसमें 12 प्रकार की टूटी हुई हड्डियों के फ्रैक्चर और 7 प्रकार की हड्डियों और जोड़ों की डिसलोकेशन का भी वर्णन मिलता है। यहां बता दें कि आधुनिक सर्जरी की शुरुआत लगभग 400 वर्ष पहले की मानी जाती है।

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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: caasindia.in में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को caasindia.in के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। caasindia.in लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी/विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

 

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