श्रम और रोजगार मंत्रालय के साथ किया करार
Delhi Aiims News : दिल्ली एम्स के रुमेटोलॉजी विभाग (Rheumatology Department) ने गठिया संबंधी विकलांगता (arthritic disability) वाले रोगियों की रोजगार में सहायता करेगा।
इसके लिए दिल्ली एम्स ने मरीजों की रोजगार क्षमता बढ़ाने, कौशल प्रमाणन की सुविधा प्रदान करने और नए व्यावसायिक रास्ते खोलने के लिए रोजगार महानिदेशालय (Directorate General of Employment), श्रम और रोजगार मंत्रालय (Ministry of Labor and Employment) के साथ एक समझौता ज्ञापन (Memorandum of understanding) पर हस्ताक्षर किए हैं।
एम्स (Delhi Aiims) ने एक बयान में कहा कि, श्रम शक्ति भवन में 1 फरवरी को समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर किया गया। यह सहयोग गठिया संबंधी बीमारियों (rheumatic diseases) से पीड़ित व्यक्तियों के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
एम्स की रूमेटोलॉजी विभाग (rheumatology) प्रमुख प्रोफेसर उमा कुमार (Professor Uma Kumar, Head of Rheumatology Department of Delhi AIIMS.) ने कहा कि “एमओयू उन लोगों के लिए आशा की किरण है जो, रूमेटिक कंडिशन के कारण विकलांगता (Disability due to rheumatic condition) से जूझ रहे हैं। इस करार के बाद ऐसे मरीजों को कौशल प्रमाणन और सार्थक रोजगार का मार्ग प्रदान करने में आसानी होगी।
इस पहल का उद्देश्य देखभाल करने वालों के बोझ को कम करना और इन रोगियों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाना है। प्रोफेसर कुमार ने विकलांग व्यक्तियों को कार्यबल में एकीकृत करने (Integrating persons with disabilities into the workforce) की दिशा में रोजगार महानिदेशालय के प्रयासों की सराहना की।
उन्होंने कहा कि “यह समझौता ज्ञापन हमारे व्यापक रोजगार और सामाजिक समावेशन रणनीतियों में रुमेटोलॉजिकल विकलांगता वाले रोगियों (patients with rheumatological disability) की जरूरतों को एकीकृत करने में एक परिवर्तनकारी कदम का प्रतीक है। यह सिर्फ चिकित्सा उपचार के बारे में नहीं है बल्कि यह इन व्यक्तियों को समाज के ढांचे में पुनः एकीकृत करने के बारे में भी है।
इस प्रयास से यह सुनिश्चित होगा कि उन्हें पूर्ण, सम्मानजनक जीवन जीने के अवसर और समर्थन मिले। उन्होंने कहा कि यह पहल आशा पैदा करेगी और लचीलेपन को बढ़ावा देगी, जिससे मरीजों को आर्थिक उत्थान और व्यावसायिक पुनर्वास के लिए संस्थागत सहायता मिलेगी।
National Career Service Centers for Differently Abled (NCSC-DA) के साथ साझेदारी करके, एमओयू कौशल प्रमाणन, रोजगार क्षमता बढ़ाने और नए व्यावसायिक रास्ते खोलने की सुविधा प्रदान करेगा। प्रोफेसर कुमार ने कहा कि, इस पहल से मिली आर्थिक स्वतंत्रता देखभाल करने वालों के तनाव को कम करने और मरीजों को आत्मनिर्भरता की दिशा में सशक्त बनाने का संकल्प मजबूत होगी।
समझौता ज्ञापन इन रोगियों के लिए एनसीएससी-डीए द्वारा आयोजित नौकरी मेलों (job fair) में शामिल होने के अवसर खोलेगा, जिससे लाभकारी रोजगार हासिल करने में सहायता मिलेगी। डॉ. कुमार ने कहा कि, “आर्थिक संभावनाओं में सुधार करके, इस सहयोग से इन रोगियों के जीवन की समग्र गुणवत्ता में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है।”
Delhi Aiims : विकलांगता के शीर्ष 10 कारणों में से एक है रूमेटोलॉजिकल विकार
उन्होंने कहा, रूमेटोलॉजिकल विकार पूर्ण विकलांगता के शीर्ष 10 कारणों में से एक हैं (Rheumatological disorders are among the top 10 causes of total disability)। रुमेटोलॉजिकल विकारों वाले मरीजों को अक्सर उचित उपचार प्राप्त करने के बावजूद विकलांगता के विकास सहित महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
मनोवैज्ञानिक आघात (psychological trauma), सामाजिक कलंक (social stigma) और बढ़ती चिकित्सा लागत (rising medical costs) का बोझ उनके संघर्ष को और बढ़ा देता है। इसके अतिरिक्त, व्यावसायिक अवसरों की कमी और शिक्षा और व्यवसाय पर प्रभाव, विशेष रूप से किशोरा अवस्था में ऐसी बीमारियों से पीडित लोगों के लिए, उनकी समग्र कठिनाइयों में योगदान देता है।
ऐसे मरीजों के आजीवन उपचार की आवश्यकता से परिवार पर आर्थिक बोझ बढ़ जाता है। प्रोफेसर कुमार ने कहा कि, कई बार इन मरीजों को उनके परिवार वाले भी छोड़ देते हैं।
इन बीमारियों के उपचार के लिए नहीं मिलती है स्वास्थ्य बीमा की सुविधा
यहां बता दें कि देश में रूमेटोलॉजिक विकार जैसे एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस से पीडित मरीजों को उपचार के लिए स्वास्थ बीमा (Health insurance for treatment of patients suffering from ankylosing spondylitis) की सुविधा नहीं दी जाती है। ऐसी बीमारियों का उपचार बेहद महंगा होता है। ऐसी बीमारियों से पीडित ज्यादातर मरीज आर्थिक समस्या की वजह से बीच में ही उपचार छोडने को विवश हो जाते हैं और विकलांगता की चपेट मेें आ जाते हैं।