Autoimmune Disease मरीजों के इलाज के लिए स्वास्थ्य बीमा की सुविधा नहीं
नई दिल्ली।टीम डिजिटल : देश में ऑटोइम्यून बीमारी (Autoimmune Disease) से पीड़ित मरीजों की बड़ी संख्या है। विशेषज्ञों के मुताबिक़ देश की 138 करोड़ आबादी में से 4140000 (3 प्रतिशत ) लोग इन बीमारियों के विभिन्न प्रकारों से पीड़ित हैं। इनमें से कुछ जानलेवा हैं और कुछ पीड़ित व्यक्ति के जीवन को जीवित अवस्था में ही नारकीय बना देते हैं। ये बीमारियां असाध्य होती हैं लेकिन नियमित और आधुनक उपचार से इन बीमरियों के नियंत्रित करके मरीजों के जीवन को आसान बनाया जा सकता है।
आंकड़ों में तो मरीजों की तादाद छोटी है लेकिन देश में ऐसे मरीजों की वास्तविक संख्या की सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है। विशेषज्ञों की मानें तो इन बीमारियों से पीड़ित मरीजों की तादाद लगातार बढ़ रही है। अगर देशभर में ऐसे बीमारियों से पीड़ित मरीजों की सर्वे कराई जाए तो इनकी संख्या चौकाने वाली हो सकती है।
देशभर में ऐसी बीमारियों से पीड़ित मरीजों का उपचार करने वाले विशेषज्ञों की भारी कमी है। वहीं इन बीमारियों का उपचार करने में सक्षम विशेषज्ञता वाले स्वास्थय केंद्रों और अस्पतालों में सुविधाओं का भारी आभाव भी है। देश भर के मेडिकल कॉलेजों में ऐसे मरीजों के लिए रिहेबिलिटेशन से सम्बंधित सुविधाएँ निम्न स्तर के हैं। जिन्हें जरुरी सुधाओं से लैस कर मरीजों को राहत प्रदान किया जा सकता है। इलाज के अभाव में इन बीमारियों से पीड़ित मरीजों को भटकना पड़ता है। वहीं प्रभावी उपचार के नाम पर मरीजों को भ्रमित कर उनका आर्थिक शोषण करने का सिलसिला भी लगातार जारी है।
Read Also : इन बीमारियों के प्रति जागरूक रहें ankylosing Spondylitis मरीज
Campaign Against Ankylosing Spondylitis (caas india) रोगियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जो ऑटो इम्यून बीमारियों (Autoimune diseases) से पीड़ित हैं। समय पर और किफायती उपचार ऐसे मरीजों के लिए बहुत जरुरी है क्योंकि इलाज के अभाव में पीड़ित व्यक्ति की शारीरिक क्षमता युवा अवस्था में ही प्रभावित हो सकती है। महँगा उपचार , स्वास्थ्य व्यवस्था में खामियां और आर्थिक लाचारी मरीजों के उपचार में बड़ी बाधा है। हैरानी की बात यह है कि देश में ऐसे मरीजों के इलाज के लिए स्वास्थ्य बीमा की सुविधा का कोई प्रावधान नहीं है, जो इलाज पाने और सामने जीवन जीने की उनकी आशा को निराशा में बदल रही है।
इन बीमारियों से पीड़ित मरीजों का सामाजिक, निजी और आर्थिक जीवन भी प्रभावित हो रहा है। सामाजिक जागरूकता की कमी की वजह से ऐसे बीमारियों से पीड़ित मरीजों की पहचान कर उन्हें समय रहते उपचार मुहैया कराना भी बड़ी चुनौती साबित हो रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक़ ऐसी बीमारियों से पीड़ित मरीज जबतक उपचार के लिए चिकित्सक या चिकित्सा केंद्र पहुंचते हैं तबतक बहुत देर हो चुकी होती है और मरीज शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से प्रभावित हो चुका होता है।
एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस (Ankylosing Spondylitis), लुपस,(Lupus), रूमेटाइड आर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis), इन्फ्लामेट्री बॉल डिजीज (Inflammatory ball disease), क्रोहन’स (Crohn’s), यूवीआइटिस (Uveitis), ऑर्थराइटिस (Arthritis) जैसी बीमारियों के खिलाफ चलाया जा सके। अभियान के माध्यम से, हम इन चुनातियों के समाधान लिए अपनी आवाज उठाने की कोशिश कर रहे हैं 1
ताकि स्वास्थ्य प्रणाली (Health System) में जरुरी सुधार हो सके और एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (Ankylosing Spondylitis) सहित सभी ऑटोइम्यून रूमेटिक विकारों (Autoimune rheumatic disorders) से पीड़ित मरीजों के लिए उपचार की प्रक्रिया सुविधाजनक और वहनीय हो सके। इस अभियान के माध्यम से हम लगातार ऐसी बीमारियों के बारे में जागरूकता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि सामाजिक स्तर पर उनके बारे में जागरूकता की बेहद कमी है।
Read : Latest Health News|Breaking News |Autoimmune Disease News |Latest Research | on https://caasindia.in | caas india is a Multilanguage Website | You Can Select Your Language from Social Bar Menu on the Top of the Website.