छठ व्रतियों के लिए परेशानी बन रहा है यमुना नदी का सफेद झाग
Yamuna River Pollution : आस्था के महापर्व छठ (chhath puja) की शुरूआत हो चुकी है। आज छठ व्रती पानी में उतरकर संध्याकालीन अर्घ्य देंगे। राजधानी में छठ पूजा के लिए 1000 से अधिक घाटों को तैयार किया गया है। यमुना नदी पर बने घाट राजधानी में छठ पूजा का विशेष आकर्षण साबित होते हैं। लोक आस्था के इस महापर्व में छठ व्रतियों के लिए यमुना नदी में फैला सफेद झाग (white foam of yamuna river) समस्या बन गया है।
हालांकि, छठ पूजा (Chhath Puja) की तैयारी के तरह इन झागों को नष्ट करने के लिए केमिकल का छिडकाव भी किया गया लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ। यहां बता दें कि यमुना में यह सफेद झाग हमेशा रहता है। झाग के संपर्क में आने वाले लोगों के आंखों में जलन और सांस लेने में समस्या होती है। हम यहां आपको यह बता रहे हैं कि यमुना के जल में यह सफेद झाग क्या है, कैसे बनता है और यह स्वास्थ्य के लिए कितना खतरनाक साबित हो सकता है?
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झाग बनने का यह है असली कारण | Yamuna River Pollution
यमुना नदी में मानसून के दिनों के अलावा सालभर ताजा पानी नहीं होता है। पर्यावरणविदों के मुताबिक, वसा के अणु वाले पौधों के गलने से यमुना में झाग बनती है। विशेषज्ञों के मुताबिक, इस वक्त् यमुना के पानी में जो झाग बन रहा है, उसके पीछे अलग वजह है। यमुना नदी में फॉस्फेट और नाइट्रेट की वजह से झाग बन रहा हैं। कई रिसर्च में यह स्पष्ट हो चुका है कि ठंड बढने के साथ ही ऑक्सीजन बनने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। छठ पूजा को देखते हुए ओखला बैराज से यमुना में ज्यादा पानी छोडा जाता है। पानी के तेजी से गिरने के कारण इसमें झाग पैदा होता है।
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22 किलोमिटर में 76 प्रतिशत प्रदूषण
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यमुना नदी की लंबाई 1300 किमी से अधिक है। इसमें दिल्ली के वजीराबाद से कालिंदी कुंज तक का हिस्सा 22 किलोमीटर है। हैरान करने वाली बात यह है कि यमुना नदी का 76 प्रतिशत प्रदूषण इसी हिस्से में होता है।
झाग बनने की अन्य वजह
- घरों व फैक्ट्रियों से निकलने वाले सीवेज
- कार्बनिक मॉलेक्यूल का सड़न
यमुना के जल में फॉस्फेट और नाइट्रेट की वजह
यमुना के जल में फॉस्फेट और नाइट्रेट घरों में इस्तेमाल होने वाले साबुन और फैक्ट्रियों के अपशिष्ट के जरिए पहुंचते हैं। जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि नदियों में शोधित किए बिना ही नाले का पानी छोडा जा रहा है। इससे जल प्रदूषित होता है और कई तरह की समान्य और गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती है।