अध्ययन में हुए चौंंकाने वाले खुलासे
नई दिल्ली। टीम डिजिटल :
करोना (Corona) महामारी की शुरूआत को तीन साल बीत चुके हैं लेकिन कोरोना का असर (effect of corona) कहीं न कहीं प्रभावित कर रहा है। भले ही कोरोना संक्रमण (corona infection) के मामले अब कम हो गए हैं, लोगों को मास्क और अन्य तरह की पाबंदियों से काफी हदतक राहत भी मिलती दिख रही है लेकिन कोरोना का असर अब भी कहीं न कहीं कायम है। ताजा अध्ययन (Latest study on the effect of corona) में चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं। जो सीधे तौर पर टीनएजर्स के स्वास्थ्य को लेकर बडी चुनौती साबित हो रही है।
टीनएजर्स के दिमाग पर हावी है कोरोना का असर (Corona’s influence dominates the minds of teenagers)

बायोलॉजिकल साइकियाट्री: ग्लोबल ओपन साइंस जर्नल (Biological Psychiatry: Global Open Science Journal) में प्रकाशित ताजा अध्ययन से इस बात का पता चलता है कि कोरोना महामारी के दौरान लगाए गए लॉकडाउन और इस दौरान होने वाले मानसिक तनाव का असर टीनएजर्स के दिमाग पर (Lockdown and the effect of mental stress during this time on the brain of teenagers) पड रहा है। इस अध्ययन के मुताबिक इस वजह से टीनएजर्स का दिमाग समय से पहले उम्रदराज हो गया है।
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महामारी के पहले और बाद में ब्रेन स्कैन से खुलासा
रिसर्च में अध्ययनकर्ताओं ने 128 बच्चों को शामिल किया। विशेषज्ञ इसमें से आधे बच्चों के दिमाग का स्कैन पिछले आठ वर्षों से दूसरे अध्ययन के लिए कर रहे थे। इन बच्चों का दो स्कैन होेने के बाद तीसरा स्कैन मार्च 2020 में किया जाना था लेकिन कोरोना महामारी की वजह से इस पक्रिया को रोकनी पड गई थी। अध्ययनकर्ताओं ने महामारी से पहले किए और बाद मेें होने वाले ब्रेन स्कैन की तुलना करने की योजना बनाई। इसके लिए विशेषज्ञों ने 16 साल की उम्र के बच्चों को चुना। चयनित बच्चों में से 50% ऐसे थे, जिनके ब्रेन को महामारी से पहले स्कैन किया गया था। जबकि, इनमें से 50% ऐसे बच्चे थे, जो नए थे और इनकी ब्रेन स्कैन महामारी के बाद की गई। इस अध्ययन में उम्र, जेंडर, प्यूबर्टी, सोशल-इकोनॉमिक स्टेटस और बचपन के स्ट्रेस जैसे पैमानों को एक समान रखा गया।
महामारी के बाद टीनएजर्स पर हावी है डिप्रेशन की समस्या (Teenagers are dominated by the problem of depression after the pandemic)

अध्ययन के नतीजों का जब विश्लेषण किया गया तो विशेषज्ञों के सामने चौंकाने वाले नतीजे थे। जिसमें यह पाया गया कि कोरोना महामारी का अनुभव करने वाले बच्चों में डिप्रेशन, एंग्जाइटी जैसे मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर्स हावी हो रहे हैं। उनके दिमाग के हिप्पोकैम्पस और एमिग्डाला पार्ट्स भी विकसित हो गया है। यह याददाश्त को नियंत्रित करने और डर जैसी भावनाओं को प्रोसेस करने में सहायता करता है।
अध्ययनकर्ताओं के मुताबिक, महामारी काल के 10 महीनों के दौरान ही बच्चों का दिमाग सामान्य के मुकाबले तीन साल अधिक उम्रदराज पाया गया। यह बदलाव ठीक वैसा ही है, जैसे बचपन में ट्रॉमा, दुर्व्यवहार जैसे बेहद बुरे हालातों से गुजरते बच्चों के साथ होता है। ऐसे बच्चे के बडे होने पर डायबिटीज, कैंसर और दिल की बीमारी का जोखिम एक सामान्य बच्चों के मुकाबले अधिक होता है।
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