Saturday, July 27, 2024
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Delhi Aiims News : Cancer के प्रति जागरुक करेंगे नन्हें साइकिल सवार 

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दिल्ली एम्स (Delhi Aiims) निदेशक ने साइकिल फॉर गोल्ड ग्लोबल चैलेंज को दिखाई हरी झंडी

Delhi Aiims News : दिल्ली एम्स निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास (Delhi AIIMS Director Dr. M Srinivas) ने विश्व कैंसर दिवस (world cancer day) के मौके पर एक्सेस2केयर (Access2Care) के लिए साइकिल फॉर गोल्ड संस्करण 3 (cycle for gold version 3) को हरी झंडी दिखाई। यह अभियान भारत में कैंसर पीडित बच्चों (children suffering from cancer in india) और उनके परिवारों के प्रति लोगों में जागरुकता पैदा करने के उद्देश्य से चलाई जा रही है।
दिल्ली एम्स (Delhi Aiims) के निदेशक डॉ. एम. श्रीनिवास ने कैंसर सर्वाइवर बाल (cancer survivor children) साइकिल चालकों  और उनके माता पिता से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने कैंसर जागरुकता (cancer awareness) के उद्देश्यों की पूर्ति का भरोसा भी दिलाया। उन्होंने कहा कि, “हम 100 प्रतिशत एक्सेस2केयर सुनिश्चित करने के लिए कैनकिड्स किड्सकैन जैसे गैर सरकारी संगठनों सहित सभी हितधारकों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
प्रो. एम श्रीनिवास ने कहा ​कि, एम्स, नई दिल्ली (Delhi Aiims) में बाल चिकित्सा सर्जरी (pediatric Surgery) में प्रशिक्षण के दौरान मेरी थीसिस विल्म्स ट्यूमर (Wilms tumor) से बचे लोगों पर थी। एक बार जब बच्चे अस्पताल पहुंच जाते हैं, तो हम जीवित रहने और अन्य परिणामों में सुधार के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि सर्वोत्तम उपचार और सहायता के अलावा अनुसंधान और क्षमता निर्माण के माध्यम से भी बच्चों के जीवन की रक्षा सुनिश्चित की जाती है। उन्होंने कहा कि एम्स से कैंकिड्स साइकल फॉर गोल्ड संस्करण3 वैश्विक चुनौती को हरी झंडी दिखाने पर उन्हें गर्व है। “

Delhi Aiims News :10 मार्च तक चलेगा अभियान 

कैंसर के प्रति जागरुक करेंगे नन्हें साइकिल सवार
कैंसर के प्रति जागरुक करेंगे नन्हें साइकिल सवार
एक फरवरी को उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा (Uttar Pradesh Chief Secretary Durgashankar Mishra) ने आरएमएल अस्पताल (RML Hospital) से किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी लखनऊ (King George Medical University Lucknow) तक साइकल रैली (cycle rally) की शुरूआत हरी झंडी दिखाकर की थी। जिसके बाद विश्व कैंसर दिवस (world cancer day 2024) के मौके पर एम्स नई दिल्ली (AIIMS New Delhi) से कलावती सरन चिल्ड्रन हॉस्पिटल (Kalavati Saran Children Hospital) तक साइकिल रैली का आधिकारिक शुभारंभ किया गया है।
यहां बता दें कि 15 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय बाल कैंसर दिवस (international child cancer day) के रूप में मनाया जाता है। वहीं 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) भी मनाया जाता है। 34 दिवस तक चलने वाला यह अभियान 10 मार्च को समाप्त होगा। इस दौरान दुनिया भर के साइकिल चालक इस तरह की रैलियों में हिस्सा लेकर वैश्विक चुनौती में अपना योगदान देंगे।

2 लाख किमी. चलेगी साइकिल रैली 

एम्स (Delhi Aiims) में दीर्घकालिक साझेदार एनजीओ, कैनकिड्स किड्सकैन (CanKids KidsCan), नेशनल सोसाइटी फॉर चेंज फॉर चाइल्डहुड कैंसर इन इंडिया (National Society for Change for Childhood Cancer in India) द्वारा आयोजित, ग्लोबल साइकल फॉर गोल्ड चैलेंज (Global Cycle for Gold Challenge) के तहत सामूहिक रूप से 200,000 किलोमीटर साइकिल चलाई जाएगी। इसका उद्देश्य जागरूकता बढ़ाने के साथ मरीजों की देखभाल तक पहुंच में आने वाली चुनौतियों का समाधान करना और कैंसर से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए लोगों से आवश्यक सहायता प्राप्त करना है।
बाल रोग विभाग की डॉ. रचना सेठ (Dr. Rachna Seth of Pediatrics Department Delhi Aiims) और आईआरसीएच के डॉ. समीर बख्शी (Dr. Sameer Bakshi of IRCH) ने कहा “बचपन के कैंसर का इलाज संभव है। अधिकांश मामलों में रोग का निदान अनुकूल होता है। हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कैंसर से पीड़ित कोई भी बच्चा बिना इलाज के न रहे। वर्तमान में उपचार अनुपात केवल 40 प्रतिशत है। यह एक ऐसा  आंकड़ा है, जिसमें सुधार करना जरूरी है।
कैंसर के प्रति जागरुक करेंगे नन्हें साइकिल सवार
कैंसर के प्रति जागरुक करेंगे नन्हें साइकिल सवार
कैनकिड्स किड्सकैन जैसे गैर सरकारी संगठनों के सामूहिक प्रयासों और सरकारी समर्थन से हमारा लक्ष्य आने वाले वर्षों में 100 प्रतिशत उपचार अनुपात हासिल करना है। वर्ष 2030 तक हमारा लक्ष्य कैंसर से जूझ रहे प्रत्येक बच्चे को व्यापक उपचार प्रदान करना है। यह प्रतिबद्धता कैंसर से प्रभावित बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए  हमारे मिशन को शक्ति प्रदान करती है।
एम्स (Delhi Aiims) आरपी सेंटर के प्रमुख Dr. J. S. Titiyal, ने कहा कि, ”भारत में बच्चों में कैंसर के मामलों की बढ़ती संख्या भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है। यह एक प्रमुख वैश्विक चुनौती बनकर उभर रहा है। ऐसी स्थिति में जागरुकता बढाना बेहद जरूरी है। साइकिल फॉर गोल्ड चुनौती का नेतृत्व कर रहे हैं कैंसर सर्वाइवर  मुकेश ठाकुर, रवि कुमार और तनुज और उनके परिजनों के साथ “एसडब्ल्यूएजी” नामक सुपर महिला एथलीट समूह की 15 महिला साइकिल चालक भी शामिल हुईं।
साइकिल समूह का नेतृत्व कर रहीं भावना गौर ने कहा, “हम जो भी पैडल दबाते हैं वह आशा का प्रतीक है, बचपन के कैंसर के खिलाफ लड़ाई में हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है।” रैली में कैंसर सार्वाइवर्स के साथ कुल 200 से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया।
इस अवसर पर  पैड्रियाट्रिक सर्जरी विभाग के एचओडी और अस्पताल प्रबंधन बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. संदीप अग्रवाल ने कहा कि, ”डॉक्टर के रूप में, हमारी सबसे बड़ी आकांक्षा हर बच्चे को न केवल जीवित रखना है बल्कि उन्हें बेहतर देखभाल प्रदान करना है। हमें यह भी सुनिश्चित करना है कि उपचार के बाद बच्चे  गुणवत्तापूर्ण जीवन जी सकें।
यह रैली कलावती सरन चिल्ड्रेन हॉस्पिटल (Kalavati Saran Children Hospital) में एक छोटे समारोह के साथ संपन्न हुई, जहां लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज और एसोसिएटेड हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. सुभाष गिरी (Dr. Subhash Giri, Director of Lady Hardinge Medical College and Associated Hospital), कलावती सरन चिल्ड्रन हॉस्पिटल के बाल चिकित्सा विभाग की प्रमुख डॉ. अंजू सेठ  (Dr. Anju Seth, Head of Pediatric Department of Kalavati Saran Children Hospital)और कलावती सरन चिल्ड्रन हॉस्पिटल के प्रमुख डॉ. वाई.के. सरीन (Dr. Y.K., head of Kalavati Saran Children’s Hospital. sarin) शामिल हुए।

हर साल 4 लाख बच्चे कैंसर से होते हैं प्रभावित 

यहां बता दें कि कैंसर दुनिया भर में मौत का प्रमुख कारण है। ऐसा अनुमान है कि दुनिया भर में हर साल (0-19) वर्ष की आयु के बच्चों में कैंसर के लगभग 400,000 नए मामले सामने आते हैं। भारत में लगभग 80,000 बच्चों को हर साल कैंसर चपेट में लेता है। यह दुनियाभर में बचपन में होने वाले कैंसर की घटनाओं का 20 प्रतिशत आंकडा है।
डब्ल्यूएचओ ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर चाइल्डहुड कैंसर (GICC) ने भारत के लिए वर्ष 2030 तक बाल कैंसर रोगियों के जीवित रहने का दर कम से कम 60  प्रतिशत रखने का लक्ष्य तय किया है। इससे अतिरिक्त दस लाख मरीजों की जान बचाई जा सकेगी। 60 प्रतिशत लक्ष्य तक पहुंचने के लिए भारत को 100 प्रतिशत Access2Care की आवश्यकता होगी।


नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

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